लेखनी कविता - मैं जिंदगी जीना चाहती हूँ
एक शाम खोना चाहती हूँ
मैं पहाड़ों के बीच...
एक रात नदी के किनारे गुजारना चाहती हूँ
एक दिन वादियों में ठहरना चाहती हूँ
मैं जिंदगी जीना चाहती हूँ...
कानों में कुछ पुराने नगमे घोलना चाहती हूँ
होठों से कुछ मीठा गुनगुनाना चाहती हूँ..
मैं पेड़ों में को गले लगाना चाहती हूँ
झरने के पानी से प्यास बुझाना चाहती हूँ
मैं जिंदगी जीना चाहती हूँ...
एक रात चांद को देखते देखते
गुजारना चाहती हूँ...
एक सुबह सूरज के साथ जागना चाहती हूँ
हवाओं के साथ झूमना चाहती हूँ
नदियों के साथ बहना चाहती हूँ
मैं जिंदगी जीना चाहती हूँ...
एक दिन तुम्हारे शहर में ठहरना चाहती हूँ
गलियों से गुजारना चाहती हूँ
जिनमें तुमसे चले होगें..
उन फ़िज़ाओं में खोना चाहती हूँ
मैं जिंदगी जीना चाहती हूँ...
अपूर्वा शुक्ला🍁 ✍
# प्रतियोगिता स्वैच्छिक
Khan
28-Nov-2022 09:06 PM
Very nice 👌🌺
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Apoorva Shukla
03-Dec-2022 11:39 AM
Thanks
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Gunjan Kamal
28-Nov-2022 06:57 PM
शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻
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Apoorva Shukla
03-Dec-2022 11:40 AM
शुक्रिया
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Muskan khan
28-Nov-2022 04:11 PM
Nice 👌
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Apoorva Shukla
03-Dec-2022 11:40 AM
Thanks
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